रोटियां बनाने वाले हाथों को सलाम, लेकिन आज हम रोटियां कमाने वाले हाथों को चूमेंगे। क्योंकि आज फादर्स डे है। इस दिन का इतिहास 1908 में, अमेरिका से शुरू हुआ था। सोनोरा स्मार्ट डोड ने, अपने पिता के सम्मान में, पहली बार ये दिन मनाया था। ये लोकप्रिय तब हुआ, जब साल 1972 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इसे, हर साल मनाने की घोषणा की। और तब से, हम, हर साल, जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाते हैं। जिस तरह, मां की ममता और प्रेम है, उसी तरह एक पिता का बलिदान, संघर्ष और ताकत है। चाहे फाइनांशियल हो, या शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक, एक पिता हमेशा अपने बच्चे के लिए सपोर्ट सिस्टम है।
पिता बनना सरल है, लेकिन आसान नहीं। खासतौर पर सिंगल डैड। पिता का प्रेम भी कमाल का है, बच्चों से सख्ती से पेश आते हैं, उन्हीं के भले के लिए। गरीब या मिडल क्लास फैमिली के उस पिता का दिल देखिए कितना बड़ा होता है- बच्चे ने कुछ मांग लिया, तो कहीं न कहीं से उसका जुगाड़ कर ही देंगे। पिता एक मेंटर हैं, जो बच्चों को आत्मनिर्भर होना सिखाते हैं। पिता से ही बच्चे सीखते हैं कि अपने जीवनसाथी के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। हमें लगता है कि सुपर हीरो कुछ भी, कर सकता है, इसलिए, कई बार, हम अपने इस सुपर हीरो की मुश्किलें जानने की कोशिश नहीं करते। हमारा बचपन संवारने के लिए, जिसने अपनी जवानी को दांव लगा दिया। हमारी जिद पूरी करने के लिए, लेट नाइट और ओवर टाइम लगाया। पैसे, खिलौने, कपड़े, किताबें जो भी मांगा, सब मिला।
वजह चाहे कुछ भी हो, अगर, अब तक आपने, अपने पिता को नहीं बताया कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं, तो आज मौका है। उन्हें गले लगाएं, और बताएं। क्योंकि आप खुशकिस्मत हैं, कि आपके पास Papa हैं। द रेवोल्यूशन देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से आप सभी को फादर्स डे की हार्दिक शुभकामनाएं।